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श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

हुं हुं हुङ्काररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।

ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।

श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तरशत नाम्स्तोत्रम्

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा॥

न कवचं नार्गला-स्तोत्रं, कीलकं न रहस्यकम्।

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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वादशोऽध्यायः

नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥ ५ ॥

मां दुर्गा की पूजा-पाठ में शुद्धता का विशेष ध्यान रखें. सुबह-शाम जब भी आप ये पाठ करें तो स्नान के बाद साफ वस्त्र धारण करें और फिर इसे शुरू करें.

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः

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